4.6 सालों का काम सिर्फ 6 महीने में करेगा अरविन्द केजरीवाल Aam Aadmi, New Delhi: आइये आपको सुनाता हूँ एक आम मुख्यमंत्री की कहानी ,जो आधी सैलरी और दो कमरे के मकान में रहने का दावा करता था भ्रष्टाचारियों को जेल भेजने का दावा करता था लेकिन आपको आश्चर्य होगा की इस आम इंसान ने […]
Read Moreप्रसून लतांत : स्वीडन की पंद्रह साल की ग्रेटा थुनबर्ग के ग्लोबल वार्मिंग के मुद्दे पर उनके वैश्विक हो गए आंदोलन ने सैकड़ों देशों को महात्मा गांधी के सत्याग्रह की याद दिला दी है। स्वीडिश जलवायु कार्यकर्ता ग्रेटा ने पिछले साल अगस्त से अहिंसक सविनय अवज्ञा के गांधीवादी सिद्धांत पर एक वैश्विक आंदोलन शुरू कर […]
Read Moreआज से सौ साल पहले इन्हीं दिनों में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के अहमदाबाद स्थित ‘सत्याग्रह आश्रम’ में चरखा मिलने की खुशी मनाई जा रही थी। बहुत कोशिश के बाद गांधीजी को गंगा बाई नाम की महिला ने एक चरखा खोज कर दिया था। गांधी जी के नेतृत्व में फिर से चर्चित, संशोधित और विकसित चरखा […]
Read Moreकौन सुध लेगा बिहार की… Vikas Kumar: बिहार में बाढ़ है… नीतीश कुमार है। कमाल है ना… ये नारा जो नीतीश के चुनावी नारे से मेल खाता है। सोचने समझने वाली बात यह है कि नीतीश के सुशासन जो की अब कुशासन में बदल गया है। राजधानी पटना में लोग त्रस्त हैं और सड़क पर […]
Read Moreदीपक पांडेय : किसी कम्पनी की तरक़्की में दो चीज़ों का महत्वपूर्ण योगदान होता है,कार्य शैली तथा कार्य कुशलता | लेकिन आज के समय में इन दोनों भागों में महज खानापूर्ति दिखाई पड़ती है या फिर यूँ कहें इनकी जगह चाटुकारिता ने ले ली है | महज अपने चंद निजी फायदे के लिए चाटुकार किसी […]
Read Moreएक और झूठ का भंडाफोड़ आर्यों और दलितों के मैक्स मुलर थ्योरी के परती विचार प्रकट करती मेरे निजी विचार | दीपक पांडेय: हिटलर का सिद्धांत एक झूठ को सौ बार बोलो वो सच लगने लगेगा इसका सर्वोत्तम उद्धरण है 5000 सालों के अत्याचार का झूठ. अफ़सोस आज के पढ़े लिखे युवा भी इन बातों […]
Read Moreदीपक पांडेय : रेमॉन मैग्सेस अवार्ड जो की दूसरे विश्व युद्ध के बाद फ़िलीपीन्स के तीसरे और देश के कुल सातवें राष्ट्रपति के नाम पर दिया जाता है जिनका कार्यकाल 30 सितम्बर 1953 से 1957 तक रहा. लेकिन ये संचालित होता है अमेरिका द्वारा. 1957 मैं जब इसकी शुरुआत की गयी थी तब ये रॉकेफेलर […]
Read MoreVinayak Mumbai: बिहार कभी अपने सकारात्मक ख़बरों की वजह से सुर्ख़ियो में नहीं रहता है। क्या करें राज्य कि क़िस्मत और राज्य के जनता कि क़िस्मत दोनों ही ख़राब है। विचार करने योग्य ये सवाल है कि आखिर बिहार के क़िस्मत में है क्या? हमेशा आपदा, विपदा और ग़रीबी ने इस राज्य को पिछड़े राज्य […]
Read MoreSunil Misra Delhi :- अपने देश में पार्टियों की जबरदस्त भीड़ में कई नेता और उनके रिश्तेदार जनभावनाओं के साथ खिलवाड़ करने से नहीं चूक रहे हैं I ज्यादातर बड़ी पार्टियों के नेता अपनी राजनीतिक शक्ति का दुरपयोग करके आम जनता के ऊपर दबाब बनाकर उनके जीवन को बर्बादी के रास्ते पर मोड़ कर […]
Read MoreSunil Mishra: कबीर का नाम सुनते ही हमारे मन में साम्प्रदायिक सदभाव वाला कवि याद आता है। लेकिन हम परंपरा पुरुषों की स्मृतियों को तहस नहस कर रहे हैं। हम किसलिए जिंदा है। केवल हम भाग रहें हैं … बिना सोंचे-समझे…और किधर भाग रहें हैं पता नहीं, पर भाग रहें हैं। कहीं किसी की हत्या […]
Read MoreVikas Ranjan: ना जाने क्या होगा, भारत का भविष्य किधर जाएगा कोई नहीं जानता और फिर कोई जानेगा भी कैसे जब राष्ट्रवाद के नाम पर देश में चुनाव हो और राष्ट्र के नाम पर सब जायज ठहराया जाए। लेकिन जब राष्ट्र की नींव को ही सत्ताधारी मौत की नींद सुला दे तो क्या कहेंगे। यकीन […]
Read MoreVinayak Singh : व्यथित मौन मन उद्वेलित है। कहूँ क्या,मैं हूँ या ना हूँ। ये दिवस नहीं है योग साधना का, ये दिवस है माँओं के क्रन्दन का। छिन लिये उनके जिगर के लालों को, दिये उन्हें जीवन भर का संताप। क्या कहूँ प्रभू तुझें? कैसे कहूँ तेरी लिला अपरंपार। ये दिवस नहीं है योग […]
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